सड़क किनारे लगने वाले रिफ्लेक्टर्स को बिजली कहाँ से  मिलती है, या फिर इनको ऑन या ऑफ कौन करता है ?

सड़क के किनारे लगे रिफ्लेक्टर्स को 'कैट आई' भी कहा जाता है. ये रिफ्लेक्टर्स खासकर ऐसी सड़कों पर लगाए जाते हैं, जहां रोशनी नहीं होती या कम होती 

सड़क पर लगने वाले रिफ्लेक्टर 2 प्रकार के होते हैं।  एक्टिव और पैसिव रिफ्लेक्टर,वो साइकिल की पैडल की तरह दिखते हैं 

ये सड़क की सतह से थोड़ा ऊपर उठे होते हैं, गाड़ी चलाते समय आपको झपकी आ जाए और जैसे ही आपकी कार दूसरी लेन में जाए, तो आपको झटका लगे और दुर्घटना से बच सकें.

पैसिव रिफ्लेक्टर में दोनों तरफ रेडियम की पट्टी लगी होती. जैसे ही गाड़ी की तेज रौशनी इसपर पड़ती है तो ये चमकने लगती है और प्रकाश जैसा अनुभव होता है

एक्टिव रिफ्लेक्टर बिजली से चलते हैं और ज्यादातर हाईवे पर यही रिफ्लेक्टर लगे होते हैं. इन रिफ्लेक्टर्स (Roadside Reflector) में एक सोलर पैनल और बैट्री  होता है 

दिन में जब सूरज की रौशनी इस पर पड़ती है जिसके कारण सोलर पैनल बिजली बनाता है और बैट्री को चार्ज कर देता है 

शाम को धुप सम्पत हो जाने के बाद , बैट्री रिफ्लेक्टर्स में लगे सर्किटके द्वारा एलईडी को बिजली की सप्लाई भेजती है और रिफ्लेक्टर में लगी एलईडी ब्लिंक होने लगता है

यह घर में लगे इन्वर्टर की तरह है. बिजली रहने पर इन्वर्टर की बैट्री को चार्ज करता है. और बिजली जाते ही वही बैट्री, इन्वर्टर से जुड़े सभी सर्किट में बिजली  सप्लाई  करता है 

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