स्त्री धन क्या है तथा उस पर किसका अधिकार है ? कानून का इस पर क्या कहना है ,सभी को जानना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन को लेकर 25th अप्रैल  को एक अहम फैसले में स्त्री धन को लेकर सबकुछ साफ़ कर दिया है , कई बातें लोगों को नहीं पता था 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला का स्त्रीधन उसकी निजी संपत्ति है, जिसे अपनी मर्जी से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है

इस स्त्री धन का पति कभी भी हिस्सेदार नहीं होसकता, लेकिन किसी मुसीबत के समय पत्नी की सहमति से इसका इस्तेमाल कर सकता है.  

स्त्रीधन में पत्नी को शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद में माता-पिता, ससुराल वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से  मिले गिफ्ट, धन, गहने,जमीन और बर्तन  सभी चीजें शामिल हैं

स्त्रीधन  सिर्फ विवाहित स्त्री नहीं बल्कि अविवाहित स्त्री का भी हो सकता है। शादी से पहले मिला हुआ छोटे-मोटे तोहफे, सोना, कैश, सेविंग्स से लेकर तोहफे में मिली प्रॉपर्टी स्त्री धन है 

हिंदू महिला का स्त्रीधन का हक हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 27 के तहत आता है

यह कानून शादी से पहले, शादी के समय या शादी के बाद महिला को मिला हुआ स्त्रीधन अपने पास रखने का पूरा हक देता है. महिला स्‍त्रीधन का उपयोग अपनी मर्जी से कर सकती है.

जहां मंगलसूत्र को छोड़कर ज्यादातर स्त्रीधन महिला के ससुरालवाले रख लेते हैं, ये कहकर कि वे संभालकर रखेंगे. ऐसी स्थिति में कानून उन्हें स्त्रीधन का ट्रस्टी मानता है।  महिला के द्वारा मांग किए जाने पर उन्हें देना होगा। 

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