Chhath Puja 2023 : छठ पूजा एक प्राचीन हिन्दू त्योहार है । यह पर्व सूर्य देव और छठी देवी को समर्पित है। छठ पूजा दीवाली के बाद चार दिन के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
छठ पूजा, सूर्य देव, सूर्य भगवान और उनकी पत्नी उषा (छठी मैया) की पूजा के लिए मनाई जाती है । इसे करोड़ों भक्तों द्वारा मनाया जाएगा पूरे विधि विधान के साथ मनाया जाता है। इस व्रत में साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।
Chhath Puja 2023 क्यों मनाया जाता है ?
वैसे तो प्रत्येक त्यौहार मनाने के पीछे कोई न कोई कारण होता है । But छठ पर्व मनाने के पीछे एक कहानी है जिसे मैं आपको यहाँ बता रहा हूँ ।
पौराणिक कथा के according बहुत समय पहले एक निःसंतान राजा प्रियवंद हुआ करते थे । उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए सभी संभव प्रयास किए। But कोई लाभ नहीं हुआ । Therefore महर्षि कश्यप ऋषि मुनि के सलाह पर पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। पुत्रेष्टि यज्ञ की आहुति में बनाई गयी खीर एवं प्रसाद राजा अपनी पत्नी को खिलाते हैं ।
क्या पुत्रेष्टि यज्ञ के बाद पुत्र कि प्राप्ति हो जाता है ?
यज्ञ के बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति तो हो जाती है but मृत अवस्था में। राजा मृत बच्चे को लेकर श्मशान जाते हैं। राजा वहां पुत्र वियोग में अपना प्राण त्यागने लगता है। But तभी आसमान से ज्योतिर्य्मयी विमान के द्वारा मानस पुत्री देवसेना आती हैं । राजा से मानस पुत्री देवसेना कहती हैं। मेरा जन्म सृष्टि के मूल प्रविर्ती के छठे अंश से वह पैदा हुई है। Therefore उन्हें षष्ठी भी कहा जाता है ।
राजा को सलाह देती है कि अगर तुम मेरा व्रत करोगे ,तो पुत्र कि प्राप्ति हो जाएगी। राजा बात मानकर कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को व्रत प्रारम्भ कर देता है। जिसके तत्पश्चात पुत्र कि प्राप्ति होती है ।
तभी से लोग पुत्र कि प्राप्ति एवं सुख समृद्धि के लिए छठ व्रत मानते आ रहे हैं। षष्ठी देवी भगवान् ब्रह्मा कि मानस पुत्री थी। According to पुराण नवरात्र के अवसर पर षष्ठी थी पर माँ कात्यायनी देवी कि होती है । माँ कात्यायनी षष्ठी माँ का ही एक रूप है ।
छठ पूजा किस महीने में मनाया जाता है ?
- छठ पूजा कार्तिक महीने में ।
- छठ पूजा चैत्र महीने में (चैती छठ) ।
चैती छठ पूजा क्या है? चैती छठ पूजा एक चार दिन का हिन्दू त्योहार है । जो चैत्र महीने में मनाया जाता है। सामान्य रूप से मार्च या अप्रैल में होता है। इस त्योहार को सूर्य देव के समर्पित किया जाता है ।
इसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल के राज्यों में मनाया जाता है। इस पूजा को करने का विधि विधान कार्तिक महीने में किये जाना वाला व्रत के सामान ही है।
Chhath Puja 2023 कब मनाया जायेगा ?
- पूरा पंचांग इस साल, Chhath Puja 2023 को कार्तिक महीने में (शुक्रवार) 17 नवम्बर को मनाई जाएगी और 20 नवम्बर, 2023 को समाप्त होगी।
- Chhath Puja 2023 उपवास की तिथियाँ चार दिन के त्योहार की शुरुआत इस साल छठ नहाय खाय से होगी, जो शुक्रवार, 17 नवम्बर को मनाई जाएगी।
- दूसरे दिन लोहंडा और खरना होगा, जो शनिवार, 18 नवम्बर को होगा।
- तीसरे दिन, रविवार, 19 नवम्बर को सूर्य देव को संध्या अर्घ्य चढ़ाया जाएगा। but त्योहार उषा अर्घ्य की प्रस्तावना के साथ समाप्त होगा, जो सोमवार, 20 नवम्बर, 2023 के सुबह सूर्य के उदय को चढ़ाया जाएगा।
Chhath Puja 2023 पूरा पंचांग ,छठ पूजा अनुष्ठान तिथियाँ दिन और तारीख
छठ नहाय खाय शुक्रवार 17 नवम्बर
लोहंडा और खरना शनिवार 18 नवम्बर
संध्या शाम रविवार 19 नवम्बर
सुबह अर्घ्य सोमवार 20 नवम्बर
Chhath Puja 2023 के अनुष्ठान कैलेंडर
Chhath Puja 2023: नहाय खाय (दिन 1): छठ का पहला दिन, जब त्योहार शुरू होता है, को ‘नहाय खाय’ कहा जाता है। इस दिन व्रती बिना स्नान किये खाना जी खाएगीं। अगर संभव हो तो गंगा नदी केव पावन तात पर स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है ।
Chhath Puja 2023: लोहंडा और खरना (दिन 2): खरना त्योहार के दूसरे दिन का नाम है। इस दिन, सूर्योदय से सूर्यास्त तक, महिलाएं पूरे दिन बिना पानी पीए उपवास करती हैं।
लोहंडा का प्रसाद पुरे विधि विधान के साथ बनाया जाता है । सूर्य भगवान् एवं षष्ठी माँ कि आराधना के बाद सूर्यास्त के बाद। लोहंडा के प्रसाद खाकर उपवास तोड़ा जाता है। तीसरे दिन का पर्व दूसरे दिन के प्रसाद के बाद शुरू हो जाता है।
Chhath Puja 2023: संध्या अर्घ्य (दिन 3): तीसरे दिन को एक पूरे दिन के बिना पानी पीने वाला उपवास किया जाता है। इस दिन को संझिया घाट भी कहा जाता है, जो प्रमुख छठ पूजा का दिन होता है। इस दिन का मूल है संध्या के समय सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना। तीसरे दिन का उपवास पूरी रात तक चलता है। अगले सुबह के सूर्योदय के बाद परना शुरू होता है।
Chhath Puja 2023: उषा अर्घ्य (दिन 4): छठ के चौथे और आखिरी दिन पर लोग उषा अर्घ्य, जिसे अर्घ्य भी कहा जाता है । सूर्योदय का अर्ध्य के साथ 36 घंटे का उपवास अर्घ्य के बाद समाप्त होता है।
छठ पूजा के चार दिन होते हैं:
नहाए खाए (पहला दिन): छठ का पहला दिन, जिस दिन त्योहार शुरू होता है, को ‘नहाए खाए’ कहा जाता है। इस दिन भक्त उपवास करते हैं और केवल एक भोजन करते हैं। साथ ही गंगा नदी में पवित्र स्नान करते हैं।
लोहंदा और खरना (दूसरा दिन): इस त्योहार के दूसरे दिन को ‘खरना’ कहा जाता है। इस दिन, सूर्योदय से सूर्यास्त तक, महिलाएं बिना पानी पीते पूरे दिन के उपवास में रहती हैं।
सूर्यास्त के बाद शाम में उपवास तोड़ा जाता है। और खाना तैयार किया जाता है और सूर्य भजन एवं षष्ठी मैया को चढ़ाया जाता है। आफ्टर allतीन दिन के उपवास के बाद चौथे दिन का उपवास शुरू होता है।
संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन): तीसरे दिन को बिना पानी पिए पूरे दिन के उपवास का पालन किया जाता है। तीसरे दिन को ‘संझिया घाट’ के नाम से भी जाना जाता है । यह त्योहार का मूल दिन होता है। इस दिन का महत्व सूर्यास्त को अर्घ्य प्रस्तुत करने का होता है। तीसरे दिन का उपवास पूरी रात तक रहता है। अगले सुबह सूर्योदय के बाद परना शुरू होता है।
सुबह अर्घ्य (चौथा दिन): लोग छठ के चौथे या आखिरी दिन को उषा अर्घ्य, जिसे अर्घ्य भी कहा जाता है। सूर्योदय पर चढ़ाते हैं। 36 घंटे के उपवास के बाद अर्घ्य के बाद पूरा होता है।
Chhath Puja 2023: किस प्रकार किया जाता है ?
- पवित्र नदी में नहाना: यह शरीर और मन की पवित्रीकरण की प्रतीक है।
- उपवास: भक्त खरना और सुबह अर्घ्य पर पूरे दिन के लिए उपवास करते हैं।
- सूर्य देव की पूजा: यह त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
- सूर्य देव को अर्घ्य देना: भक्त फूल, फल, और मिठाई के बदले सूर्य देव को प्रार्थनाएँ करते हैं।
- सूर्य देव को देखना: भक्त सूर्य देव को सूर्योदय पर देखकर उपवास तोड़ते हैं।
Chhath Puja 2023: कहाँ मनाया जाता है?
छठ पूजा वैसे तो यह पुरे भारत के अलावा नेपाल में भी यह पर्व मनाया जाता है । बूत प्रमुख रूप से भारत के बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, छठ महापर्व, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार, और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है।
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