Ethanol Production from sugarcane in India: भारत सरकार ने देश के शुगर मिल मालिकों को सीधे गन्ने के जूस से इथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी है। भारत सरकार के द्वारा शुगर मिल मालिक तथा CEO को चिट्ठी लिखकर तत्काल प्रभाव से सीधे गन्ने के जूस से इथेनॉल की प्रोडक्शन को रोकने के लिए कहा गया है । सरकार का यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
Ethanol Production from sugarcane in India: रोकने का क्या कारण है ?
भारत सरकार का उद्देश्य है बाजार में चीनी आपूर्ति की कमी को पूरा करना । इस समय खुदरा बाजार में चीनी का भाव 6 साल में सबसे ज्यादा है। 2024 के चुनाव को देखते हुए सरकार जरूरी चीजों के भाव को नियंत्रित करना चाह रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए Ethanol Production from sugarcane के ऊपर रोक लगा दी गई है।
Ethanol Production from sugarcane पर रोक के आदेश के ऊपर एक्सपर्ट की राय
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के द्वारा Ethanol Production from sugarcane पर रोक लगाने का जो फैसला किया गया है इसका प्रभाव 12 से 18 महीने में दिखाई पड़ेगा। ब्रोकरेज फर्म Elara Securities के बीपी प्रशांत बियानी के अनुसार सरकार के इस फैसले से देश में चीनी का 10%-15% तक उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही एथेनॉल के प्रोडक्शन में 20 से 25 परसेंट तक की कमी आ सकती है। उनके अनुसार तत्काल इस आदेश का चीनी की कीमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
बियानी के अनुसारEthanol Production from sugarcane पर रोक के आदेश के बाद बलरामपुर चीनी मिल का चीनी उत्पादन 15 फ़ीसदी तक बढ़ सकता है लेकिन साथ ही एथेनॉल का उत्पादन कम होगा। महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों पर इस आदेश का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि दोनों राज्यों में पहले से ही उत्पादन कम होने की आशंका जताई गई थी।
इथेनॉल के प्रोडक्शन में उपयोग होने वाला रॉ मटेरियल
चीनी मिलें Ethanol Production from sugarcane in India तीन तरीके से करती है। एथेनॉल का प्रोडक्शन सिरप, बी हैवी मोलासेस, सी हेवी मोलासेस के जरिए किया जाता है।लगभग 65 % एथेनॉल का उत्पादन बी हेवी मोलासेस , 25 परसेंट सिरप के द्वारा तथा बाकी सी हेवी मोलासेस के जरिए होता है।
इस आदेश के बाद चीनी मिलें डायरेक्ट सिरप से एथेनॉल का उत्पादन नहीं कर सकेगी। लेकिन बी हैवी मोलासेस के जरिए एथेनॉल का उत्पादन जारी रहेगा।
इस आदेश पर BCM के अध्यक्ष का क्या कहना है ?
बलरामपुर चीनी मिल के अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक सरावगी का कहना है कि Ethanol Production from sugarcaneपर रोक के आदेश के बाद चीनी की कीमतों में 5 परसेंट तक की गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि अगर चीनी की प्रोडक्शन में 15 से 17 लाख टन की बढ़ोतरी होती है तो इसका सीधा असर चीनी की कीमत पर पड़ेगा।
विवेक सरावगी के अनुसार चीनी का उत्पादन बढ़ने से चीनी बनाने वाली कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसका सही आकलन अभी नहीं किया जा सकता। यह नुकसान इस बात पर निर्भर करेगा चीनी की कीमत कितनी कम होती है ?
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की अग्रणी चीनी मिल बलरामपुर चीनी मिल का प्रॉफिट 73.5 करोड़ का था । चीनी की कीमत बढ़ने के कारण सभी शुगर मिलों का शेयर प्राइस भी बढ़ गया था। इस आदेश के बाद बलरामपुर चीनी मिल का शेयर 8 दिसंबर को 3.72% गिरावट के साथ 393.2 रुपया पर बंद हुआ ।
बलरामपुर चीनी मिल के अध्यक्ष विवेक सरावगी के अनुसार इस वर्ष कंपनी सीधे तौर पर 10 परसेंट यानी 1.2 करोड़ क्विंटल गन्ने का उपयोग एथेनॉल बनाने के लिए करने वाली थी। उनके अनुसार इथेनॉल बनाने में गन्ने के जूस की हिस्सेदारी 28% है। गन्ने के जूस से सीधे जो एथेनॉल बनता है उसी में सबसे ज्यादा कीमत 65.61 रुपए प्रति लीटर मिलता है।
50% से ज्यादा एथेनॉल बायप्रोडक्ट मोलासेस के द्वारा बनाया जाता है। जिसका मौजूद मौजूद कीमत ₹60.73 पैसे प्रति लीटर है.
पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने का सरकार का लक्ष्य
एक्सपर्ट की राय माने तो Ethanol Production from sugarcane पर रोक के बाद इस साल एथेनॉल का प्रोडक्शन कम होगा। इसका असर पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने का जो सरकार ने लक्ष्य तय किया है उसे पर पड़ेगा। 2022-23 में एथेनॉल मिलने का लक्ष्य 12% हासिल हुआ था। सरकार का लक्ष्य है कि चालू वित्त वर्ष में यह बढ़कर 15% तक हो जाए। तथा इसे आगे बढ़ाकर 20% तक करने का लक्ष्य है .
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