Tuesday, December 3, 2024
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दीपावली 2023 : जानिए पूजा समय और शुभ मुहूर्त

दीवाली 2023 पर पूजा समय और शुभ मुहूर्त

दीपावली 2023 कब मनाया जायेगा   हेलो फ्रेंड्स दीपावली या दीवाली हिंदूओं के लिए एक पांच दिवसीय त्यौहार है।  आइये जानें दीवाली २०२३ कब मनाया जायेगा और इससे जुडी हर छोटी बातें।

दीपावली 2023 का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम अपना १४ वर्ष का वनवास पूरा करके वापिस अयोध्या लौटे थे। बहुत सी पारंपरिक और धार्मिक श्रुतियों के अनुसार दीवाली के साथ कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। इन कथाओं के अनुसार दीवाली का पांच दिवसीय त्यौहार  मनाया जाता है।

दीपावली 2023 तिथि एवं मुहूर्त (दीपावली / दीपावली 2023 Date, Muhurat)

दीपावली 2023: दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम वनवास पूरा करके वापिस अयोध्या लौटे थे। बहुत सी पारंपरिक और धार्मिक श्रुतियों के अनुसार दीपावली  के साथ कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। इन दन्त कथाओं के अनुसार दिवाली का पांच दिवसीय पर्व भगवान गणपति, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, भगवान कृष्ण और बलराम के साथ-साथ यमदेव की भी पूजा का पर्व है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष दीवाली कब मनाई जाएगी l

हिन्दू पंचांग के अनुसार  इस साल दीपावली १० नवंबर २०२३ को धनतेरस के साथ शुरुआत होगी और १४ नवंबर २०२३ को भाई दूज के साथ समाप्त होगI।

दीवाली २०२३
दीवाली २०२३

दीवाली 2023 पूजा की तारीख  

पंचांग के अनुसार, दीवाली का त्योहार हर साल कार्तिक मास के 15वें दिन अमावस्या को मनाई जाएगी। दीवाली 2023 का पर्व देशभर में 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। 12 नवंबर को अमावस्या तिथि का आरंभ 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से प्रारंभ होगी और 13 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी।

 

दीपावली 2023 पर पूजा समय और शुभ मुहूर्त

दीवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक है। वहीं लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है। इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

दीवाली 2023 कैलेंडर  

धनतेरस                                            10 नवंबर

नरक चतुर्दशी (छोटी  दीपावली)                  12 नवंबर

दीवाली                                              12 नवंबर

गोवर्धन पूजा                                        14 नवंबर

भाई दूज                                            14 नवंबर

दीपावली २०२३ पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि

  • दीपावली  पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि पूर्वक की जाती है।
  • इस दिन सबसे पहले कलश पर तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें।
  • इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें।
  • ध्यान के पश्चात गणेश जी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें।
  • फिर दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं।
  • इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें।
  • स्नान कराने के उपरांत लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं। माता लक्ष्मी और गणेश जी को हार पहनाएं।
  • इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें।
  • फिर पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें।

लक्ष्मी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री (Deepawali 2023 Par Maa Laxmi Puja Samagri List In Hindi)

अब बात आती हैं कि पूजा में किस-किस वस्तु (Mata Laxmi Pooja Ki Samagri) की आवश्यकता पड़ती हैं। तो यह रही उन चीजों की सूची:

  • माँ लक्ष्मी व भगवान गणेश का चित्र या प्रतिमा
  • अक्षत/ चावल
  • पान-सुपारी
  • लौंग
  • रोली
  • इलायची
  • शंख
  • नारियल
  • लाल कपड़ा
  • गंगा जल
  • कमल का पुष्प
  • गुलाब के फूल
  • चंदन
  • दीपक
  • घी
  • तेल
  • कपूर
  • धूप
  • दूर्वा
  • चौकी
  • कलश
  • चांदी का सिक्का
  • मिठाई/ हलवा/ शिरा
  • श्रीफल
  • कमल गट्टा
  • बिल्वपत्र
  • पंचामृत
  • सिंदूर
  • मेवे
  • खील-बताशे
  • पुष्प माला
  • आसन
  • हल्दी
  • इत्र
  • आरती की थाली
  • श्रीखंड इत्यादि।
दीवाली २०२३
दीवाली २०२३ ,social media

दीवाली पर गणेश और लक्ष्मीजी की कैसी मूर्ति खरीदें 

ज्ञान और बुद्धि के देवता गणेशजी सभी देवताओं में प्रथम पूज्य है। वे गणाधिपति हैं जिन्हें किसी दूसरे का आदेश मानने की मजबूरी नहीं। ये ऐसे देवता हैं जो हर प्रसंग में जीवन को शुभ-लाभ की दिशा देते हैं। वे विघ्नहर्ता हैं, मार्ग की सारी अड़चनों को दूर करने वाले। श्री गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेशजी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए ?क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि भगवान गणेश की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाईं या कुछ में बाईं ओर होती है।

सीधी सूंड वाले भगवान गणेश दुर्लभ हैं। इनकी एक तरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है। भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप भी दो प्रकार के हैं। कुछ प्रतिमाओं में गणेशजी की सूंड बाईं ओर घूमी  हुई होती है तो कुछ में दाईं ओर। गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं  में सूर्य का प्रभाव माना गया है। गणेश जी की सीधी सूंड तीनों तरफ से दिखती है।

दाईं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी

दाईं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं। आमतौर पर ऐसी प्रतिमा घर और ऑफिस में नहीं रखी जाती। इनको स्थापित करने पर कई धार्मिक रीतियों का पालन करना ज़रूरी होता है । ऐसी प्रतिमा को देवालयों में स्थापित करके वहीं उनकी पूजा की जाती है। ऐसे गणेशजी का पूजन विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है। दायीं ओर घूमी  हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें तो वह कार्य सफल होता है व शुभ फल प्राप्त होता है।

दीवाली २०२३ laxmi pujan
दीवाली २०२३ laxmi pujan , social media

 

बाईं सूंड वाले गणेशजी

सिंहासन पर बैठे हुए गणेशजी की प्रतिमा जिनकी सूंड बाईं ओर मुड़ी  होती है, पूजा घर में रखी जानी चाहिए। इनकी पूजा से घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है। ऐसी मूर्ति  की पूजा स्थायी कार्यों के लिए की जाती है। जैसे  शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य और पारिवारिक खुशहाली। घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है। यहां बायीं ओर घूमी  हुई सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। बायीं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी विघ्नविनाशक कहलाते हैं।

इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है। घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्नविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रूक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती है। इससे घर में पॉजीटिव एनर्जी रहती है व वास्तु दोषों का नाश होता है।

सीधी सूंड वाले गणेशजी

सीधी सूंड वाली मूर्ति की आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। अक्सर संत समाज ऐसी ही मूर्ति की आराधना करता है।

लक्ष्मीजी की कैसी प्रतिमा खरीदनी चाहिए 

1-धनतेरस के दिन भगवान गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान दें कि दोनों की अलग-अलग मूर्ति ही खरीदें       न कि संयुक्त मूर्ति l

2-ध्यान रखें कि दीपावली के दिन गणेश –लक्ष्मी बैठी हुई मुद्रा की ही मूर्ति का पूजन करना चाहिए। खड़ी हुई मुद्रा की       मूर्तियां उग्र स्वभाव की विनाशक मानी जाती हैं।

3- मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि मूर्ति कहीं से खंडित या टूटी हुई न हो, ऐसी मूर्ति का पूजन करना अशुभ माना जाता      है।

4- लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि उनके हाथ से सिक्के गिर रहे हो। इन लक्ष्मी को धन लक्ष्मी कहा जाता       है, धन लक्ष्मी का पूजन घर में धन-धान्य और समृद्धि लाता है।

5- उल्लू के बजाय, हाथी या कमल के आसन पर विराजमान लक्ष्मी जी की मूर्ति का पूजन करना लाभदायक होता है।

8- दीपावली पर मिट्टी की बनी मूर्ति का पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है, आप अष्टधातु, पीतल या चांदी की मूर्ति        का भी पूजन कर सकते हैं। लेकिन प्लास्टर ऑफ पेरिस या प्लास्टिक की मूर्ति का पूजन नहीं करना चाहिए।

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डिस्क्लेमर/ Disclaimer

”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”

 

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